कम्प्यूटर का सामान्य परिचय (General Introduction of Computer)
कम्प्यूटर क्या है? (What is Computer?)
कम्प्यूटर एक स्वचालित इलेक्ट्रॉनिक मशीन है, जो मानव के कठिन से कठिन कार्यों को तीव्र गति से करता है, इसकी क्षमता सीमित है यह अंग्रेजी शब्द Compute से बना है जिसका अर्थ गणना करना होता है.
इसका उपयोग बहुत सारे सूचनाओं को प्रोसेस करने तथा इकठ्ठा करने के लिए होता है.
कम्प्यूटर एक यंत्र है जो डेटा ग्रहण करता है, व सोफ्तेअरे या प्रोग्राम के अनुसार किसी भी परिणाम के लिए प्रोसेस करता है.
कम्प्यूटर को कृत्रिम बुध्दि की संज्ञा दी गई है. इसकी स्मरण शक्ति मानव की तुलना में उच्च होती है.
कम्प्यूटर सम्बंधित प्रारंभिक शब्द (Elementary words Relating to Computer)
1. डेटा (Data) – यह अव्यवस्थित अकड़ा या तथ्य है. यह प्रोसेस के पहले की अवस्था है. साधारणता डेटा को दो भागों बांटा गया है –
(i) संख्यात्मक डेटा (Numerical Data) – जहाँ पर 0 से 9 तक के अंको का प्रयोग किया जाता है वह संख्यात्मक डेटा कहलाता है.
जैसे – मोबाइल नंबर, कर्मचारियों का वेतन, परीक्षा में प्राप्त अंक, रोल नंबर, अंक गणितीय संख्याएं आदि.
(ii) अल्फन्यूमेरिक डेटा (Alphanumeric Data) – जहाँ पर डेटा में अंकों, अक्षरों, तथा चिन्हों का प्रयोग किया जाता है अल्फान्यूमेरिक डेटा कहलाता है.
जैसे – पता (Address) आदि.
2. सूचना (Information) – यह एक अव्यवस्थित डेटा का प्रोसेस करने के बाद प्राप्त परिणाम होता है, जो अव्यवस्थित होता है.
कम्प्यूटर की विशेषताएं (Characteristics of Computer)
1. यह तीव्र गति से कार्य करता अर्थात समय की बचत होती है.
2. यह त्रुटी रहित कार्य करता है कोई गलती नहीं करता है.
3. यह स्थाई विशाल भण्डारण क्षमता की सुविधा प्रदान करता है.
4. यह पूर्व निर्धारित निर्देशों के अनुसार निर्णय लेने में सक्षम है.
कम्प्यूटर के उपयोग (Uses of Computer)
1. व्यापार में
2. शिक्षा के क्षेत्र में
3. वैज्ञानिक अनुसन्धान में
4. रेलवे आरक्षण में
5. बैंकों में
6. चिकित्सा विज्ञान में
7. प्रकाशन में
8. प्रशासन में
9. मनोरंजन में
10 संचार
कम्प्यूटर के कार्य (Function of Computer)
1. डेटा संकलन (Data Collection)
2. डेटा संचयन (Data Storage)
3. डेटा संसाधन (Data Processing)
4. डेटा निर्गमन Data Output)
डेटा प्रोसेसिंग और इलेक्ट्रॉनिक डेटा प्रोसेसिंग में अंतर: (Data Processing and Electronic Data Processing)
कम्प्यूटर निर्माण के पहले कोई भी लिखा पढ़ी, बही खाता हस्तचालित तरीके से किया जाता था जिसे डेटा प्रोसेसिंग कहते हैं. जैसे – जैसे टेक्नोलॉजी का विकास हुआ जो काम हम हस्तचालित तरीके से करते थे वह काम कम्प्यूटर से किया जाने लगा और कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है इसलिए इसे इलेक्ट्रॉनिक डेटा प्रोसेसिंग कहते हैं.
डेटा प्रोसेसिंग का मुख्य लक्ष्य अव्यवस्थित डेटा (Raw Data) से व्यवस्थित डेटा (Information Data) प्राप्त करना है. जिसका उपयोग निर्णय लेने के लिए होता है.
कम्प्यूटर सिस्टम (Computer System)
यह उपकरणों का एक समूह है जो एक साथ मिलकर डेटा प्रोसेस करता है. कम्प्यूटर सिस्टम में अनेक इकाइयाँ होती हैं जिनका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक डेटा प्रोसेसिंग में किया जाता है बुनियादी कम्प्यूटर प्रोसेसिंग चक्र में इनपुट, और आउटपुट शामिल होते हैं.
1. इनपुट यूनिट (Input Unit) – वैसी इकाई जो यूजर से डेटा प्राप्त कर सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट को इलेक्ट्रॉनिक पल्स के रूप में प्रवाहित (Transmit) करता है. जैसे की आटोमेटिक टेलर मशीन (Automatic Tellar Machine – ATM) में जब कैश निकासी के लिए जाते हैं तो हमें पिन नंबर डालना होता है इसके लिए इनपुट इकाई के रूप में कीपैड का प्रयोग किया जाता है.
2. सेंट्रल प्रोसेसिंग युनिट (CPU) – इसे प्रोसेसर भी कहते हैं यह एक इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोचिप है जो डेटा को इनफार्मेशन में बदलते हुए प्रोसेस करता है. इसे कम्प्यूटर का दिमाग भी कहा जाता है. यह कम्प्यूटर सिस्टम के सारे कार्यों को नियंत्रित करता है तथा यह इनपुट को आउटपुट में रूपांतरित करता है. यह इनपुट यूनिट तथा आउटपुट युनिट से मिलकर पूरा कम्प्यूटर सिस्टम बनता है.
इसके निम्नलिखित भाग होते हैं
(a) - अर्थमेटिक लांजिक युनिट (Arithmetic Logic Unit या ALU) – इसका उपयोग अंकगणितीय तथा तार्किक गणना में होता है. अंकगणितीय गणना के अंतर्गत जोड़, घटाव, गुणा और भाग इत्यादि तथा तार्किक गणना के अंतर्गत तुलनात्मक गणना जैसे – (<, > या =), हाँ या न (Yes या No) इत्यादि आते हैं.
(b) कंट्रोल युनिट (Control Unit) – यह कम्प्यूटर के सारे कार्यों को नियंत्रित करता है, तथा कम्प्यूटर के सभी भागों जैसे :- इनपुट, आउटपुट उपकरण (Devices), प्रोसेसर इत्यादि के सारे गतिविधियों के बीच तालमेल बैठाने का कार्य करता है.
(c) मेमोरी युनिट (Memory Unit) – यह डेटा तथा निर्देशों के संग्रह करने में प्रयुक्त होता है. इसे मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया गया है प्राइमरी तथा सेकंड्री मेमोरी. जब कम्प्यूटर कार्यशील रहता है अर्थात वर्तमान में हो रहे डेटा तथा निर्देश का संग्रह प्राइमरी मेमोरी में होता है. सेकंड्री मेमोरी का उपयोग बाद में उपयोग होने वाले डेटा तथा निर्देशों को संग्रहित करने में होता है.
3. आउटपुट युनिट (Output Unit) – वैसी इकाई जो सेंट्रल प्रोसेसिंग युनिट से डेटा लेकर उसे युजर को समझने योग्य बनाता है. जैसा की जब हम सुपर मार्किट में बिल भुगतान करते हैं तो हमें एक रसीद प्राप्त होता है, जो एक आउटपुट का रूप है. यह आउटपुट उपकरण (Output Device) प्रिंटर से प्राप्त होता है.
कम्प्यूटर का विकास (Development of Computer):
कम्प्यूटर एक मानव निर्मित मशीन है जो हमारे काम करने, रहने, खेलने आदि के सभी तरीकों को बदल दिया है.यह हमारे जीवन में हर पहलू को किसी न किसी तरह से छुआ है. यह अविश्वशनीय अविष्कार ही कम्प्यूटर है. यह लकड़ी के अबेकस से शुरू होकर उवीनतम उच्च गति माइक्रोप्रोसेसर में परिवर्तित हो गया है.कम्प्यूटर का इतिहास (History of computer) :
1. अबेकस (Abacus): पुराने समय में गणना करने के लिए एबैकस का उपयोग किया जाता था. यह एक यन्त्र है जिसका उपयोग आंकिक गणना के लिए किया जाता है. गणना तारों में पिरोय मोतियों के द्वारा किया जाता है. इसका आविष्कार चीन में हुआ था.
2. पास्कल कैलकुलेटर (Pascal Calculator): प्रथम गणना मशीन का निर्माण सन्न 1645 फ़्रांस के गणितज्ञ ब्लेज पास्कल ने किया था उस कैलकुलेटर में इन्टर लौकिंग गियर्स (Inter Locking Gears) का उपयोग किया गया था, जो 0 से 9 संख्या को दर्शाता था. यह केवल जोड़ या घटाव करने में सक्षम था. इसे एडिंग मशीन (Adding Machine) भी कहा जाता था.
3. एनालिटिकल इंजन (Analytical Engine): सन्न 1801 में जोसफ मेरी जैकवार्ड ने स्वचालित बुनाई मशीन (Automated Weaving Loom) का निर्माण किया. इसमें धातु के प्लेट को छेदकर पंच किया गया था जो कपड़े की बुनाई को नियंत्रित करने में सक्षम था.
सन्न 1820 में एक अंग्रेज आविष्कारक चार्ल्स बैबेज (Charles Babbage) ने डिफरेंस इंजन (Deference Engine) तथा बाद में अनालितिकल इंजन (Analytical Engine) बनाया.
चार्ल्स बैबेज के कॉन्सेप्ट का उपयोग कर पहला कम्प्यूटर प्रोटोटाइप का निर्माण किया गया. इसी कारण चार्ल्स बैबेज को कम्प्यूटर का जन्मदाता (Father of Computer) कहा गया है.
दस वर्ष के मेहनत के बावजूत पूर्ण रूप से वह सफल नहीं हुए. सन्न 1842 में लेडी लवलेश (Lady Lavelace) ने एक पेपर L. F. Menabrea on the Analytical Engine का इटालियन से अंग्रेजी में रूपांतरण किया. अगास्टा ने ही एक पहला Demonstration Program लिखा और उनके बाइनरी अर्थमेटिक के योगदान को जॉन वाँन न्यूमैन ने आधुनिक कम्प्यूटर के विकास के लिए उपयोग किया. इसलिए अगास्टा को 'प्रथम प्रोग्रामर' तथा 'बाइनरी प्रणाली का अविष्कारक' कहा जाता है.
4. हरमैन हौलर्थ और पंचकार्ड (Herman Hollerth and Punch Cards) : सन्न 1880 के लगभग हौलर्थ ने पंच कार्ड का निर्माण किया, जो आज के कम्प्यूटर कार्ड की तरह होता था. उन्होंने हाँलर्थ 80 कॉलम कोड और सेंसस तेबुलेटिंग मशीन (Census Tabulator) का भी आविष्कार किया.
5. प्रथम इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर (First Electronic Computer): सन्न 1942 मेंहॉवर्ड यूनिवर्सिटी के एच आइकन ने एक कम्प्यूटर का निर्माण किया. यह कम्प्यूटर Mark I आज के कम्प्यूटर का प्रोटोटाइप था. सन्न 1946 में ENIAC (Electronic Numerical Integrated and Calculator) का निर्माण हुआ. जो प्रथम इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर था.
कम्प्यूटर की पीढियां (Generation of computer)
प्रथम पीढ़ी (First Generation)- 1942-1959
यूनिभैक 1 पहला कम्प्यूटर था. इस मशीन का विकास वैज्ञानिक और फ़ौज प्रयोग के लिए किया गया था. इसमें वैक्यूम ट्यूब का प्रयोग किया था ये आकर में बड़े और गर्मी उत्पन्न करने वाले होते थे. इसमें सभी निरेदेश एवं सूचनाएं 0 तथा 9 रूप में संग्रहीत होते थे इसमें मशीनी भाषा (Machine Language) का प्रयोग किया गया था. संग्रहण के लिए इसमें पंचकार्ड का उपयोग किया गया था.
उदाहरण: एनियक (ENIAC), युनिभैक (UNIVAC) तथा मार्क – 1 इसके उदाहरण हैं.
निर्वात ट्यूब के उपयोग में कुछ कमियां थी. निर्वात ट्यूब गर्म होने में कुछ समय लगता था तथा गर्म होने के बाद अधिक गर्मी पैदा होती थी, जिसे ठंडा रखने के लिए A/C (Air-Condition) का उपयोग करना पड़ता था, तथा अधिक मात्रा में विद्युत् खर्च होती थी.
दूसरी पीढ़ी (Second Generation)- 1959-1964
दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर में निवात ट्यूब की जगह छोटे हलके ट्रांजिस्टर (Transistor) का प्रयोग किया जाता था. इसमें डेटा को निरुपित करने के लिए मैगनेटिक कोर का उपयोग किया जाता था. डेटा को संग्रहीत करने के लिए मैगनेटिक डिस्क तथा टेप का उपयोग किया जाता था. मैगनेटिक डिस्क पर आयरन ऑक्साइड की परत होती थी. इसकी गति और संग्रहण क्षमता भी तेज थी. इस दौरान उद्योग एवं व्यवसाय जगत में कम्प्यूटर का प्रयोग प्रारंभ हुआ तथा नए प्रोग्रामिंग भाषा का विकास किया गया है.
तीसरी पीढ़ी (Third Generation)- 1964-1970
इस पीढ़ी में नवीनतम तकनीकी से आकार में कमी, एवं तीव्र गति से कार्य करने की क्षमता का विकास हुआ. इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में ट्रांजिस्टर की जगह इंटीग्रेटेड सर्किट (Integrated Circuit) यानि I.C. का प्रयोग शुरू हो गया जिसका विकास जे.एस. किल्वी (J.S. Kilvi) ने किया. शुरु में LSI (Large Scale Integration) का प्रयोग किया गया, जिसमें एक सिलिकॉन चिप पर बड़ी मात्रा में I.C. (Integrated Circuit) या ट्रांजिस्टर का प्रयोग किया था. RAM (Random Access Memory) के उपयोग होने से मैगनेटिक टेप एवं डिस्क के संग्रहण क्षमता में वृद्धि हुई. इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर अलग-अलग मिलना शुरू हो गया था जिससे यूजर अपने आवश्यकता के अनुसार सॉफ्टवेयर ले सकता था.
चौथी पीढ़ी (Fourth Generation)- 1970-1985
चौथी पीढ़ी के कम्प्यूटर में VLSI (Very Large Scale Integration) के साथ ULSI (Ultra Large Scale Integration) का प्रयोग आरंभ हुआ जिसमे एक चिप में लगभग लाखों चीजों को संग्रहीत किया जा सकता था.
चौथी पीढ़ी के कम्प्यूटर अधिक अनुकूलनीय होते थे इसमें अधिक भण्डारण क्षमता थी, वे पिछली पीढ़ी की तुलना में अधिक विश्वशनीय थे, और प्रोटेबल, छोटे, तथा कम बिजली खपत वाले होते थे. इंटेल इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में उपयोग किये जाने वाले माइक्रोप्रोसेसर को विकसित करने वाली पहली कंपनी थी.
इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में VLSI (Very Large Scale Integration) चिप तकनीकी का इस्तेमाल किया गया और ये अविश्वसनीय रूप से शक्तिशाली थे. जिससे कम्प्यूटर जगत में क्रांति आई. इस पीढ़ी मे युजर को बेहतर सुविधा प्रदान करने के लिए GUI (ग्राफिक्स यूजर इंटरफ़ेस) का उपयोग किया गया.
पांचवी पीढ़ी (Fifth Generation) 1985-Till now
पांचवी पीढ़ी के कम्प्यूटर में VLSI (Very Large Scale Integration) के साथ ULSI (Ultra Large Scale Integration) का विकास हुआ और एक चिप द्वारा करोड़ों गणना करना संभव हुआ. संग्रहण (Storage) के लिए CD (कॉम्पैक्ट डिस्क) का विकास हुआ. इन्टरनेट, ईमेल तथा वर्ल्ड वाइड वेव (WWW) का विकास हुआ. बहुत छोटे एवं तेज गति से कार्य करने वाले कम्प्यूटर का विकास हुआ. प्रोसेसिंग की जटिलता कम हुई. कृत्रिम ज्ञान क्षमता को विकसित करने की कोशिश हुई जिससे परिस्थिति के अनुसार कम्प्यूटर निर्णय ले सके. पोर्टेबल पी.सी. और डेस्कटॉप पी.सी. कम्प्यूटर के जगत में क्रांति ला दिया एवं इसका उपयोग जीवन के सभी क्षेत्र में होने लगा है.
कम्प्यूटर के प्रकार (Types of Computer)
types of Computer | Types of Computer in Hindi
कम्प्यूटर के प्रकार अलग- अलग चीजों के हिसाब से निर्धारित किया है,
जैसे –
1- अनुप्रयोग (Application) के आधार पर
2- उद्द्येश्य (Purpose) के आधार पर
3- आकर (Size) के आधार पर
1. अनुप्रयोग (Application) के आधार पर कम्प्यूटर के प्रकार
अनुप्रयोग के आधार पर कम्प्यूटर को तीन भागों में विभाजित किया गया है.
1- एनालांग कम्प्यूटर (Analog Computer)
2- डिजिटल कम्प्यूटर (Digital Computer)
3- हाईब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer)
1. अनालांग कम्प्यूटर (Analog Computer)- एनालॉग कम्प्यूटर एक नवीनतम प्रौद्योगिकी है जो आपको अद्वितीय तरीके से विशेष तालिकाएँ करने में सक्षम बनाती है. यह उपकरण विभिन्न क्षेत्रों में अध्ययन और अनुसंधान के लिए प्रयोगशालाओं में उपयोग होता है.
एनालॉग कम्प्यूटर के उदाहरण :
1. थर्मामीटर
2. स्पीडोमीटर
3. सीस्मोमीटर
4. एनालॉग घड़ी
5. वोल्टीमीटर
6. टेलीफोन लाइन्स
7. टेलीविज़न
2- डिजिटल कम्प्यूटर (Digital Computer)- डिजिटल कम्प्यूटर एक उच्च कार्य क्षमता वाला इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो डेटा को प्रसंस्करण करता है और उपयोगकर्ता को अनुमति देता गई विभिन्न कार्यों को करने के लिए. यह डिजिटल तकनीकी का उपयोग करता है जिसमे डेटा को 0 और 1 के रूप में प्रस्तुत करता है, जिसे बाइनरी सिस्टम कहा जाता है.
डिजिटल कम्प्यूटर विभिन्न भाषाओँ, संख्याओ का उपयोग करके डेटा को प्रसंस्करण करता है. यह कम्प्यूटर के अन्दर में तार के रूप में संगठित इलेक्ट्रॉनिक सर्किट्स का उपयोग करता है जिन्हें माइक्रोप्रोसेसर, मेमोरी एवं इनपुट तथा आउटपुट उपकरण के रूप में जाना जाता है.
डिजिटल कम्प्यूटर के उदाहरण :
1. पर्सनल कम्प्यूटर
2. डेस्कटॉप कम्प्यूटर
3. लैपटॉप
4. स्मार्टफोन
5. टेबलेट
6. डिजिटल घड़ी
3- हाईब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer)- यह एक विशेष प्रकार का कम्प्यूटर है जो डिजिटल और एनालॉग कम्प्यूटर के संयोग से मिलकर बना है. इसमें डिजिटल और एनालॉग तत्व एक साथ मिलकर काम करते हैं.
हाइब्रिड कम्प्यूटर एक विभिन्न प्रकार के गणनाओं को सम्पादित करने के लिए उपयोग होता है. यह डिजिटल कम्प्यूटर के साथ एनालॉग कंपोनेंट्स का उपयोग करता है.
हाइब्रिड कम्प्यूटर कई क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है जैसे – अणु उर्जा की गणना, वायुमंडल का माडलिंग, मैटेमेटिकल माडलिंग आदि. इसकी विशेषताएं जैसे की उर्जा की खपत की कमी, गति और सटीकता का ध्यान रखते हुए अनुसंधान और वैज्ञानिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान किया जा सकता है.
हाइब्रिड कम्प्यूटर के उदाहरण :
1. ईसीजी मशीन
2. सीटी स्कैन मशीन
3. अल्ट्रासाउंड मशीन
4. डाइलिसिस मशीन
5. एटीएम मशीन
6. पेट्रोल पंप मशीन आदि.
उद्देश्य (Purpose) के आधार पर कम्प्यूटर के प्रकार
उद्येश्य के आधार पर कम्प्यूटर को दो भागों में बाटा गया है
1. सामान्य उद्येश्य के कम्प्यूटर (General Purpose Computer)
2. विशेष उद्येश्य के कम्प्यूटर (Special Purpose Computer)
1 – सामान्य उद्देश्य के कम्प्यूटर (General Purpose Computer)- सामान्य उद्द्येश्य के कम्प्यूटर एक ऐसा कम्प्यूटर है जो हमारे दैनिक उपयोग के लिए बनाया गया है. यह कम्प्यूटर विभिन्न गतिशीलता और उपयोगिता के साथ हमें आवश्यक सुविधाएं प्रदान करता है. ये कम्प्यूटरों का प्रयोग आम तौर से दफ्तरों, घरों, शिक्षा और मनोरंजन के लिए प्रयोग किया जाता है.
सामान्य उद्देश्य के कम्प्यूटर के उदाहरण:
1. डेस्कटॉप
2. आईबीएम-पीसी
3. लैपटॉप
4. टेबलेट
5. स्मार्ट फोन
2 - विशेष उद्येश्य के कम्प्यूटर (Special Purpose Computer)- यह एक ऐसा कम्प्यूटर है जो विशेष कार्यों या उद्देश्यों को पूरा करने के लिए बनाया गया है. ये कम्प्यूटर विशेष विज्ञान, शोध, औद्योगिक उपयोग और अन्य विशेष क्षेत्रों में प्रयोग किया जाता है. इन कम्प्यूटरों का प्रयोग विशेष उद्देश्यों की प्रक्रिया को तेज करने, विस्तारित करने, गणना करने, वैज्ञानिक अध्ययन और अभियांत्रिकी अनुसंधान करने, औद्योगिक निर्माण प्रक्रिया को सहयोग करने और विभिन्न व्यवस्थाओं को प्रबंधित करने के लिए किया जाता है.
विशेष उद्येश्य के कम्प्यूटर के उदाहरण:
1- ऑटोमोबाइल ऑनबोर्ड कम्प्यूटर
2- ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन
3- एटीएम
4- एमआरआई मशीने
5- सीटी स्कैनर
6- प्रोग्राम तर्क नियंत्रक
7- ऑटोमैटिक एयरक्राफ्ट लैंडिंग सिस्टम
8- डिजिटल कैमरा
आकार (Size) के आधार पर
(i) – माइक्रो कम्प्यूटर (Micro Computer):
यह एक ऐसे कम्प्यूटर होते हैं जिसे आराम से एक मेज (Desk) पर रखा जा सकता है. ऐसे छोटे कम्प्यूटर का विकास सन्न 1970 ई. में माइक्रो प्रोसेसर के अविष्कार के साथ हुआ, माइक्रो प्रोसेसर के आने से सस्ते और आकर में छोटे कम्प्यूटर बनाने में संभव हुआ. इन कम्प्यूटर को पर्सनल कंप्यूटर भी कहा जाता है,
माइक्रो कम्प्यूटर के उदाहरण हैं- डेस्कटॉप, लैपटॉप, टेबलेट पीसी और वर्कस्टेशन.
(ii) – मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer):
मिनी कम्प्यूटर आकर एवं क्षमता में भी माइक्रो कम्प्यूटर से बड़े होते हैं. सबसे पहले मिनी कम्प्यूटर सन्न 1965 ई. में तैयार किया गया था. एक ओर माइक्रो कम्प्यूटर में CPU होता है वहीँ मिनी कम्प्यूटर में एक से अधिक CPU होते हैं. और मिनी कम्प्यूटर पर एक से अधिक व्यक्ति एक साथ कार्य कर सकते हैं इनका प्रयोग छोटी या माध्यम आकार की कंपनियां करती हैं.
(iii) – मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer):
ये कम्प्यूटर आकर में बहुत बड़े होते हैं. बड़ी कंपनियों में मेनफ्रेम कम्प्यूटर का प्रयोग किया जाता है. एक नेटवर्क में कई कम्प्यूटर को आपस में जोड़ा जा सकता है, इसमें कई युजर एक साथ कार्य कर सकते हैं. इस कम्प्यूटर में नोड डॉट जेएस (Nod.js) नामक एक सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया जाता है.
(iv) – सुपर कम्प्यूटर (Super Computer):
यह अन्य सभी श्रेणियों माइक्रो कम्प्यूटर, मिनी कम्प्यूटर और मेनफ्रेम कम्प्यूटर की तुलना में अत्यधिक बड़े, अधिक संग्रह क्षमता एवं सबसे अधिक गति वाले होते हैं. इनका आकार एक सामान्य कमरे के बराबर होता है, सुपर कम्प्यूटर (Super Computer) का उपयोग बड़े वैज्ञानिक और शोध प्रयोगशालाओं में शोध कार्यों के लिए होता है. सन्न 1998 ई. में भारत में सीडेक द्वारा एक सुपर कम्प्यूटर (Super Computer) बनाया गया जिसका नाम था परम–10000 इसकी गणना क्षमता 1 ख़रब प्रति सेकंड थी आज भारत का विश्व में सुपर कम्प्यूटर के क्षेत्र में बहुत बड़ा नाम है.