कम्प्यूटर की पीढियां (Generation of computer)
प्रथम पीढ़ी (First Generation)- 1942-1959
यूनिभैक 1 पहला कम्प्यूटर था. इस मशीन का विकास वैज्ञानिक और फ़ौज प्रयोग के लिए किया गया था. इसमें वैक्यूम ट्यूब का प्रयोग किया था ये आकर में बड़े और गर्मी उत्पन्न करने वाले होते थे. इसमें सभी निरेदेश एवं सूचनाएं 0 तथा 9 रूप में संग्रहीत होते थे इसमें मशीनी भाषा (Machine Language) का प्रयोग किया गया था. संग्रहण के लिए इसमें पंचकार्ड का उपयोग किया गया था.
उदाहरण: एनियक (ENIAC), युनिभैक (UNIVAC) तथा मार्क – 1 इसके उदाहरण हैं.
निर्वात ट्यूब के उपयोग में कुछ कमियां थी. निर्वात ट्यूब गर्म होने में कुछ समय लगता था तथा गर्म होने के बाद अधिक गर्मी पैदा होती थी, जिसे ठंडा रखने के लिए A/C (Air-Condition) का उपयोग करना पड़ता था, तथा अधिक मात्रा में विद्युत् खर्च होती थी.
दूसरी पीढ़ी (Second Generation)- 1959-1964
दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर में निवात ट्यूब की जगह छोटे हलके ट्रांजिस्टर (Transistor) का प्रयोग किया जाता था. इसमें डेटा को निरुपित करने के लिए मैगनेटिक कोर का उपयोग किया जाता था. डेटा को संग्रहीत करने के लिए मैगनेटिक डिस्क तथा टेप का उपयोग किया जाता था. मैगनेटिक डिस्क पर आयरन ऑक्साइड की परत होती थी. इसकी गति और संग्रहण क्षमता भी तेज थी. इस दौरान उद्योग एवं व्यवसाय जगत में कम्प्यूटर का प्रयोग प्रारंभ हुआ तथा नए प्रोग्रामिंग भाषा का विकास किया गया है.
तीसरी पीढ़ी (Third Generation)- 1964-1970
इस पीढ़ी में नवीनतम तकनीकी से आकार में कमी, एवं तीव्र गति से कार्य करने की क्षमता का विकास हुआ. इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में ट्रांजिस्टर की जगह इंटीग्रेटेड सर्किट (Integrated Circuit) यानि I.C. का प्रयोग शुरू हो गया जिसका विकास जे.एस. किल्वी (J.S. Kilvi) ने किया. शुरु में LSI (Large Scale Integration) का प्रयोग किया गया, जिसमें एक सिलिकॉन चिप पर बड़ी मात्रा में I.C. (Integrated Circuit) या ट्रांजिस्टर का प्रयोग किया था. RAM (Random Access Memory) के उपयोग होने से मैगनेटिक टेप एवं डिस्क के संग्रहण क्षमता में वृद्धि हुई. इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर अलग-अलग मिलना शुरू हो गया था जिससे यूजर अपने आवश्यकता के अनुसार सॉफ्टवेयर ले सकता था.
चौथी पीढ़ी (Fourth Generation)- 1970-1985
चौथी पीढ़ी के कम्प्यूटर में VLSI (Very Large Scale Integration) के साथ ULSI (Ultra Large Scale Integration) का प्रयोग आरंभ हुआ जिसमे एक चिप में लगभग लाखों चीजों को संग्रहीत किया जा सकता था.
चौथी पीढ़ी के कम्प्यूटर अधिक अनुकूलनीय होते थे इसमें अधिक भण्डारण क्षमता थी, वे पिछली पीढ़ी की तुलना में अधिक विश्वशनीय थे, और प्रोटेबल, छोटे, तथा कम बिजली खपत वाले होते थे. इंटेल इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में उपयोग किये जाने वाले माइक्रोप्रोसेसर को विकसित करने वाली पहली कंपनी थी.
इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में VLSI (Very Large Scale Integration) चिप तकनीकी का इस्तेमाल किया गया और ये अविश्वसनीय रूप से शक्तिशाली थे. जिससे कम्प्यूटर जगत में क्रांति आई. इस पीढ़ी मे युजर को बेहतर सुविधा प्रदान करने के लिए GUI (ग्राफिक्स यूजर इंटरफ़ेस) का उपयोग किया गया.
पांचवी पीढ़ी (Fifth Generation) 1985-Till now
पांचवी पीढ़ी के कम्प्यूटर में VLSI (Very Large Scale Integration) के साथ ULSI (Ultra Large Scale Integration) का विकास हुआ और एक चिप द्वारा करोड़ों गणना करना संभव हुआ. संग्रहण (Storage) के लिए CD (कॉम्पैक्ट डिस्क) का विकास हुआ. इन्टरनेट, ईमेल तथा वर्ल्ड वाइड वेव (WWW) का विकास हुआ. बहुत छोटे एवं तेज गति से कार्य करने वाले कम्प्यूटर का विकास हुआ. प्रोसेसिंग की जटिलता कम हुई. कृत्रिम ज्ञान क्षमता को विकसित करने की कोशिश हुई जिससे परिस्थिति के अनुसार कम्प्यूटर निर्णय ले सके. पोर्टेबल पी.सी. और डेस्कटॉप पी.सी. कम्प्यूटर के जगत में क्रांति ला दिया एवं इसका उपयोग जीवन के सभी क्षेत्र में होने लगा है.